BN बांसवाड़ा न्यूज़ से – नई दिल्ली: देशभर में पालतू पिटबुल कुत्तों के हमलों का मामला गरमाया हुआ है. एक के बाद एक कई शहरों से इस तरह के मामले सामने आए हैं. मेरठ में पिटबुल के हमले में गंभीर रूप से घायल एक लड़की की खबर सामने आने के दो महीने बाद पंजाब में 13 साल के बच्चे का कुत्ते ने कान काट लिया. गुरुग्राम में भी पिटबुल ने एक महिला पर हमला किया जबकि लखनऊ में पिटबुल ने खुद की मालकिन को नोंच डाला. गाजियाबाद में ऐसी ही एक घटना पर एक बच्चे को 100 से ज्यादा टांके आए. लेकिन सवाल ये है कि आखिर कुत्तों की पिटबुल ब्रीड इतनी हिंसक क्यों है? देश में बढ़ रहे इन मामलों की वजह से पेटा इंडिया (People For The Ethical Treatment of Animals) ने पशुपालन मंत्रालय और राज्य सरकारों को पत्र लिखकर पिटबुल जैसे ब्रीड पर बैन की मांग की है. पेटा इंडिया की प्रोग्राम मैनेजर राधिका सूर्यवंशी का कहना है कि पिटबुल को इसलिए ब्रीड किया जा रहा है ताकि डॉग फाइटिंग में इनका इस्तेमाल किया जा सके. इन्हें गार्ड डॉग के तौर पर घरों में रखा जाता है. इन्हें जिस तरह की ट्रेनिंग दी गई है, ये ठीक वैसा ही बिहेव करते हैं. केरल के एर्नाकुलम के एक अस्पताल से मिली रिसर्च बताती है कि देश में 75 फीसदी से ज्यादा डॉग बाइट के मामले पालतू जानवरों के थे, ना कि स्ट्रे एनिमल्स या कम्युनिटी एनिमल्स के. डॉग ट्रेनर ये मानते हैं कि पालतू कुत्तों को एक्सरसाइज, अच्छे फूड की जरूरत होती है. हिदायत यह भी दी जाती है कि अगर आप घर में पालतू कुत्ता लाना चाहते हैं तो उसे एडॉप्ट कीजिए ना की खरीदिए. क्योंकि ये विदेशी कुत्ते भारत के मौसम के प्रतिकूल होते हैं, उनकी अलग डिमांड और जरूरतें होती हैं. कम्युनिटी एनिमल्स में डॉग बाइट के मामले इसलिए देखने को मिलते हैं क्योंकि एरिया में उनकी आबादी बढ़ने से प्रजनन या टेरिटरी के लिए उनके बीच झगड़े होते हैं इसलिए उनके गुस्सा रहता है लेकिन sterilization (नसबंदी) इसका उपाय है.
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