BN बांसवाड़ा न्यूज़ – महंगाई की नई किश्त अब गाड़ी और मोबाइल की कीमत बढ़ाने वाली है. अगले साल अप्रैल से वाहनों के प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए बनाए गए BS-VI मानकों का फेज टू शुरू होने वाला है. इसके बाद कंपनियों को कारों के इंजन में बदलाव करने के साथ ही आधुनिक after-treatment systems लगाने होंगे, जिससे नाइट्रोजन उत्सर्जन का स्तर घटाया जा सकेगा. इसके साथ ही particulate matter sensors भी कारों में लगाना अनिवार्य होगा. लेकिन इन सब बदलावों को लागू करने की वजह से कंपनियों को अतिरिक्त खर्च करना होगा जिससे कार बनाने की लागत बढ़ जाएगी. इसके असर से डीजल कार 80 हज़ार रुपये तक महंगी हो जाएगी. जबकि पेट्रोल कार की कीमत में 25 से 30 हज़ार रुपये तक का इजाफा होगा. डीजल कारों के दाम बढ़ने से इनकी बिक्री घटने और हाइब्रिड कारों को फायदा मिलने का अनुमान है. अगर कार कंपनियों ने डीजल कारों का दाम अनुमान के मुताबिक बढ़ा दिया तो फिर इनकी और हाइब्रिड कारों की कीमत का अंतर घट जाएगा. ऐसे में कार खरीदार डीजल कार खरीदने की जगह हाइब्रिड कार को तवज्जो दे सकते हैं क्योंकि ये कार ज्यादा माइलेज देने के साथ ही प्रदूषण भी कम करती हैं. डीजल कारों की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद इनके ग्राहकों की तादाद में कमी आने की आशंका इसलिए भी है, क्योंकि दिल्ली समेत कई शहरों में 10 साल पुरानी डीजल कारें बैन हो चुकी हैं. इसके अलावा डीजल कारों को लेकर कंपनियां सरकार की नीतियों को लेकर असमंजस में हैं. ऐसे में डीजल प्लांट्स पर किया गया पुराना निवेश वसूलना जिस तरह से कुछ कंपनियों के लिए चुनौती बना हुआ है उनके लिए आगे डीजल मॉडल्स में निवेश करने का फैसला लेना बेहद कठिन होगा.दरअसल, बीते 15 साल कार कंपनियों के लिए काफी दुविधा भरे रहे हैं. 2007-08 में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में काफी अंतर था और देश में डीजल कारों की मांग बढ़ने लगी थी. ऐसे में कंपनियों ने बड़े निवेश डीजल प्लांट्स में किए थे. लेकिन इसके बाद डीरेगुलेशन से डीजल और पेट्रोल के दाम तकरीबन बराबर हो गए. ऐसे में अचानक से डीजल कारों की मांग घट गई. इसके बाद इलेक्ट्रिक कारों को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई और कंपनियों को अपनी योजनाओं को फिर से बदलने पर विचार करना पड़ा. इसमें देरी हुई तो पेट्रोल-डीजल के महंगा होने से CNG कारों की मांग में तेजी आने लगी. लेकिन अब जिस तरह से CNG के दाम बढ़ रहे हैं तो वहां भी योजनाओं के विस्तार को लेकर कंपनियां पसोपेश में हैं. ऐसे में अब डीजल कारों के नए प्रदूषण नियम और इनके इस्तेमाल की वैलिडिटी पर स्थिति साफ ना होने से कंपनियों के लिए एक बार फिर नई चुनौती पैदा होने वाली है जिससे सबसे ज्यादा असर महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा जैसे देसी कंपनियों पर होगा कारों को महंगा होने में अभी 6 महीने बाकी हैं तो मोबाइल की महंगाई इसी तिमाही से शुरू होने की आशंका है. अनुमान है कि दिवाली के बाद एंट्री लेवल स्मार्टफोन के दाम बढ़ सकते हैं. इसकी वजह है कि रुपये में कमजोरी आने की वजह से सबसे ज्यादा बिकने वाले और कम मार्जिन वाले एंट्री लेवल स्मार्टफोन के दाम बढ़ाना कंपनियों की मजबूरी है. ऐसे में अक्टूबर-दिसंबर में सस्ते स्मार्टफोन के दाम 5 से 7 फीसदी तक बढ़ सकते हैं. अभी तक कंपनियां त्योहारी डिमांड को बनाए रखने के लिए महंगे कम्पोनेंट्स की कीमत का दबाव खुद झेल रही हैं. लेकिन नवंबर से वो कीमतों को बढ़ाने के लिए तैयार हैं.इससे मोबाइल की डिमांड घटने की आशंका है जो पहले से ही दबाव में है. भारत में वॉल्यूम के हिसाब से सबसे बड़ा मार्केट बजट स्मार्टफोन का है. जिस तरह से महंगाई का दबाव बीते कुछ महीनों से बढ़ा है और कोरोना के बाद आर्थिक रुप से पिछड़ा तबका संकट से उबर नहीं पाया है इससे आशंका है कि अब इन सस्ते स्मार्टफोन की बिक्री में ज्यादा गिरावट आ सकती है. महंगाई से अगर आप परेशान हैं तो ये जानकर आपकी मायूसी और बढ़ जाएगी कि RBI ने अगले डेढ़ साल तक महंगाई से जंग जारी रहने की आशंका जताई है. ये दावा इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि नंबर गेम में RBI ने सितंबर में महंगाई के पीक पर पहुंचने का अनुमान लगाया है. लेकिन आंकड़ों की इस बाजीगिरी में आगे कमी का अनुमान इसलिए है कि अब सप्लाई सामान्य होने लगी है और दूसरा ये है कि पिछले साल की महंगाई के ऊंचे आंकड़ों की वजह से आने वाले महीनों में इसकी रफ्तार नंबरों में ही कम दिखाई देगी. लेकिन RBI की MPC के एक सदस्य ने साफ कह दिया है कि महंगाई से अभी लंबी लड़ाई बाकी है और अगली 5-6 तिमाहियों से पहले ये काबू में नहीं आएगी. बीती 3 तिमाहियों से महंगाई सरकार के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है. ऐसे में सरकार को ये बताना अब RBI की जिम्मेदारी है कि आखिर क्यों वो महंगाई पर कंट्रोल पाने में नाकाम है. ऐसे में नियम के तहत इसका जवाब देना अनिवार्य है तो RBI सरकार को सप्लाई के अवरोधों को महंगाई बढ़ने की वजह बता सकता है.
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