3 ट्रेनें आपस में टकराईं,70 यात्रियों की मौत, 400 से अधिक घायल, 3 रेल गाड़िया क्षतिग्रस्त।

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BN बांसवाड़ा न्यूज़ – नई दिल्ली (आईएएनएस)| पिछले एक दशक में देश की सबसे भयंकर ट्रेन दुर्घटनाओं में से एक में शुक्रवार की रात कोरोमंडल एक्सप्रेस और एसएमवीपी-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कई कोच हादसे का शिकार हो गए। इस दु:खद घटना में कम से कम 233 लोगों की मौत हो गई और 900 से अधिक घायल हो गए। एजेंसियां अभी भी क्षतिग्रस्त ट्रेन के डिब्बों से यात्रियों को निकालने की कोशिश कर रही हैं। यहां पिछले 15 वर्षों में हुए कुछ प्रमुख रेल हादसों की सूची दी गई है।1) 28 मई 2010: आधी रात के बाद दक्षिण पूर्व रेलवे के खेमशुली और सरधिया स्टेशनों के बीच मुंबई जाने वाली ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस ट्रेन के कुछ डिब्ब पटरी से उतर गए और बगल की पटरी पर जा गिरे। कुछ ही देर बाद दूसरी ओर से बगल की पटरी पर आ रही मालगाड़ी उन डिब्बों को रौंदते हुए निकल गई। कम से कम 148 यात्रियों की मौत की हुई थी और अन्य 200 से अधिक घायल हो गए। यह आरोप लगाया गया था कि माओवादियों ने पटरियों को क्षतिग्रस्त कर दिया था जिसके कारण पश्चिम बंगाल में यह त्रासदी हुई।2) 19 जुलाई 2010: पश्चिम बंगाल के सैंथिया में उत्तर बंग एक्सप्रेस और वनांचल एक्सप्रेस ट्रेनें एक-दूसरे से टकरा गईं, जिसमें लगभग 63 लोगों की मौत हो गई और 165 से अधिक घायल हो गए। 3) 7 जुलाई 2011: उत्तर प्रदेश में एटा जिले के पास छपरा-मथुरा एक्सप्रेस एक बस से टकरा गई थी। हादसे में 69 लोगों की मौत हो गई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसा मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग पर दोपहर करीब 1.55 बजे हुआ। ट्रेन तेज रफ्तार में चल रही थी और बस को घसीटकर करीब आधा किलोमीटर तक ले गई।4) 23 मई 2012: आंध्र प्रदेश के पास हुबली-बेंगलोर हम्पी एक्सप्रेस एक मालगाड़ी से टकरा गई थी। दुर्घटना में चार डिब्बे पटरी से उतर गए और उनमें से एक में आग लग गई। हादसे में 25 यात्रियों की मौत हो गई और कई अन्य झुलस गए। हादसे में 43 लोग घायल हो गए। 5) 30 जुलाई 2012: नेल्लोर के पास दिल्ली-चेन्नई तमिलनाडु एक्सप्रेस के एक कोच में आग लग गई थी, जिसमें 30 से ज्यादा लोग मारे गए थे। 6) 26 मई 2014: उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर इलाके में गोरखपुर की ओर जा रही गोरखधाम एक्सप्रेस खलीलाबाद स्टेशन के पास खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई, जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा घायल हो गए।7) 20 मार्च 2015: उत्तर प्रदेश के रायबरेली में बछरावां रेलवे स्टेशन के पास देहरादून से वाराणसी जा रही जनता एक्सप्रेस एक बड़ी दुर्घटना का शिकार हो गई। ट्रेन के इंजन और दो निकटवर्ती डिब्बों के पटरी से उतरने से 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 150 अन्य घायल हो गए थे। 8) 20 नवंबर 2016: कानपुर के पुखरायां के पास 19321 इंदौर-पटना एक्सप्रेस पटरी से उतर गई, जिसमें कम से कम 150 लोगों की मौत हो गई और 150 से अधिक लोग घायल हो गए। 9) 19 अगस्त 2017: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में खतौली के पास हरिद्वार और पुरी के बीच चलने वाली कलिंग उत्कल एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त हो गई। ट्रेन के 14 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें 21 यात्रियों की मौत हो गई तथा 97 अन्य घायल हो गए। 10) 23 अगस्त 2017: उत्तर प्रदेश के औरैया के पास दिल्ली जा रही कैफियत एक्सप्रेस के नौ कोच पटरी से उतर गए, जिससे कम से कम 70 लोग घायल हो गए। इस ट्रेन हादसे में किसी भी यात्री की मौत नहीं हुई थी। 11) 13 जनवरी 2022: पश्चिम बंगाल के अलीपुरदार में बीकानेर-गुवाहाटी एक्सप्रेस के कम से कम 12 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई और 36 अन्य घायल हो गए। यहां तक कि भारतीय रेलवे की एक प्रीमियम ट्रेन राजधानी एक्सप्रेस भी 2002 में बड़े हादसे का शिकार हो गई थी। बिहार के गया और डेहरी-ऑन-सोन स्टेशनों के बीच रफीगंज स्टेशन के पास 2301 हावड़ा-नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस रात 10.40 बजे पटरी से उतर गई। 10 सितंबर 2002 की रात 14 डिब्बों के धवा नदी में गिर जाने से 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। रेलवे पिछले कुछ वर्षों से ट्रेन यात्रियों की सुरक्षा पर ध्यान दे रहा है और उसने रेल पटरियों को अपग्रेड किया है और ट्रेनों को आमने-सामने की टक्कर से बचाने के लिए ‘कवच’ नाम का एक उपकरण भी लगाया है। रेलवे ने अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क पर सभी मानव रहित लेवल क्रॉसिंग को भी हटा दिया है। हालांकि, शुक्रवार को कोरोमंडल एक्सप्रेस और एसएमवीपी-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेनों से जुड़ी दुर्घटना ने भारतीय रेलवे के कई प्रयासों के बावजूद ट्रैक सुरक्षा पर एक बार फिर से सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।

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