नहीं थम रहा लंपी वायरस का कहर, राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में हालात बेकाबू

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BN बांसवाड़ा न्यूज़ से – राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के पशुओं को लंपी वायरस चपेट में ले रहा है। इसका संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। सर्वाधिक प्रभावित गौवंश है। गांवों में कई जगह खुले में मृत पशु पड़े हैं। वहीं जागरुक ग्रामीण मृत संक्रमण से मृत पशुओं को गड्ढे खोदकर दफना रहे हैं। पशुपालन विभाग भी बढ़ते संक्रमण से चिंतित हैं। उससे व्यवस्थाएं नहीं संभल रही। जिला मुख्यालय पर पशुओं के क्वारेंटाइन सेंटर में गायें मर रही हैं, पर उन्हें उठाने वाला कोई नहीं है। यह क्वारेंटाइन सेंटर हरणी महादेव रोड पर ओड़ों का खेड़ा के पास नगर परिषद के काइन हाउस के एक हिस्से में बनाया हुआ है। पशुपालन विभाग के अनुसार क्वारेंटाइन सेंटर में 150 संक्रमित मवेशी यहां रखे गए हैं, पर हकीकत में इससे कहीं अधिक है। हालात ये है कि क्वारेंटाइन सेंटर में गौवंश की मौत हो रही। आज सुबह भी आठ गौवंश मृत पड़े थे। एक का मुंह तो श्वान ने नोंच खाया। मृत पशुओं को उठाने वाला कोई नहीं है। बीमार पशुओं के लिए अलग से चारे-पानी की व्यवस्था भी नहीं है। ये इसलिए जरूरी है कि जहां पानी की खेळ बनी है, वहां तक बीमार पशु चलकर नहीं पहुंच पा रहे। ये हालात देखकर आसपास के लोग भी सेवा दे रहे हैं। पशुओं की देखभाल के लिए यहां महज एक कंपाउंडर है। वो अपनी तरफ से सभी बीमार पशुओं की देखभाल की पूरी कोशिश कर रहा है, पर चाहकर भी अकेले के बस का नहीं है।पशुपालन विभाग के अनुसार, आज तक 15966पशु संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 1124की मौत हो गई। 6063 रिकवर हुए। संक्रमित पशुओं के आंकड़े में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। सर्वाधिक मौतें हुरड़ा में हुई है। अजमेर जिले से सटे भीलवाड़ा जिले के ग्रामीण इलाकों में बीमारी ने जबर्दस्त पैर पसार लिए हैं। उधर, पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ.दुर्गालाल रैगर ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनके विभाग का काम तो चिकित्सीय है। चारे-पानी की व्यवस्था व मृत पशुओं को उठाने का काम नगर परिषद का है। उन्होंने कहा कि पशुओं की जितनी भी मौतें हो रही, वे ऐसे पशु हैं, जिन्हें मालिक ने सड़कों पर छोड़ दिया। वे कमजोर हो गए। जो हेल्दी पशु हैं, वे तो 45 दिन में ठीक हो रहे हैं।भीलवाड़ा के काइन हाउस में बने क्वारेंटाइन सेंटर में अभी 150 पशु है, जबकि वहां 5 हजार पशु रख सकते हैं। बीमार पशुओं के चारे-पानी की व्यवस्था व मृत पशुओं को उठाने का काम नगर परिषद का है। स्वयंसेवी संस्थाएं भी चारे-पानी की व्यवस्था करवा रहे हैं। हमारा काम तो उनकी चिकित्सा करना व दवाइयां उपलब्ध करवाना है। क्वारेंटाइन सेंटर में हमने एक चिकित्सा अधिकारी की दिन में दो बार जाकर इलाज करने की ड्यूटी लगाई है। उन्होंने आज सुबह भी 23 पशुओं का इलाज किया। एक कंपाउंडर भी लगाया हुआ है। हमारे पास तो आज दो पशुओं के मरने की ही रिपोर्ट है।वहीं नगर परिषद के काइन हाउस प्रभारी एईएन पारस जैन ने कहा कि बीमार पशुओं के पास ही पीने के पानी की व्यवस्था के लिए टब खरीद रहे हैं। उनके पास टब रखेंगे। लंपी से ग्रसित पशु गले में तकलीफ की वजह से कड़क चारा नहीं खा पाते। फिर भी हम चारे और डॉक्टर की सलाह के अनुसार लड्डू भी खिला रहे हैं। जहां तक मृत पशु पड़े होने की बात है तो हम तीन-चार मृत पशु एक साथ उठवाते हैं। आज भी उठवाए हैं।

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