शायर सईद मंज़र की दो प्रकाशित कृतियों ग़ज़ल संग्रह ” बातें तेरी लेहजा मेरा ” तथा दोहा संग्रह ” मोती निकले सीप से ” का विमोचन सिंधी धर्मशाला में सम्पन्न हुआ

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शायर सईद मंज़र की दो प्रकाशित कृतियों ग़ज़ल संग्रह ” बातें तेरी लेहजा मेरा ” तथा दोहा संग्रह ” मोती निकले सीप से ” का विमोचन सिंधी धर्मशाला में सम्पन्न हुआ। मुख्य अतिथि डॉ. प्रभु शर्मा ने कहा कि शायर सईद मंज़र ने जीवन के अनुभूत सत्यों को स्वाति नक्षत्र की बूंदों की भाँति मन-मानस की सीपियों में संजोया है। अध्यक्षता करते हुए डॉ. सरला पण्ड्या ने कहा कि शायर ने खुसरो-कबीर की भाषा अपनाते हुए फ़कीराना अंदाज़ का परिचय दिया है। विशिष्ट अतिथि डॉ.मालिनी काले ने कहा कि साहित्य में स्वहित के साथ ही परहित संगीत भी गुँजायमान होता है। विशिष्ट अतिथि लियो संस्थान निदेशक मनीष त्रिवेदी ने कहा कि तन तो नाशवान है लेकिन आने वाली पीढ़ियाँ हमारी कृतित्व धरोहर से ही व्यक्तित्व मूल्यांकन कर पाएंगी। शिक्षाविद साहित्यकार प्रकाश पण्डया ने कहा कि

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शायर मंज़र की ग़ज़लों में दर्द है लेकिन दवा भी है। जज़्बातों की खुशबू सूफियाना बस्ती में जी भर कर सैर कराती। कवि भागवत कुन्दन ने शायर मंज़र के कृतित्व पर दोहे समर्पित करते हुए कहा कि हिन्दी-उर्दू का संगम अदबी सफ़र में मील का पत्थर साबित होगा। शायर सईद मंज़र ने अपनी दोनों ही कृतियों से चयनित काव्यांश प्रस्तुत करते हुए कहा कि सृजन मुझे विरासत में नहीं मिला लेकिन तबीयत और फितरत में रचाव मेरी स्वर्गीय मातुश्री से ही अवतरित हुआ है।
प्रयोगधर्मी साहित्यकार हरीश आचार्य ने कहा कि सृजनकार मंज़र ने आत्मा से उपजे चिंतन- मनन को कृतित्व के माध्यम से सार्वजनिक किया है। सुप्रसिद्ध रंगकर्मी साहित्यकार सतीश आचार्य ने आरोह- अवरोह से भरपूर काव्यात्मक संयोजन- संचालन किया।
समारोह के शुभारंभ में गायक विरेन्द्र सिंह राव ने जनकवि और गीतकार शैलेन्द्र की जन्मशताब्दी के चलते शैलेन्द्र की मशहूर ईश वन्दना ” तू प्यार का सागर है …तेरी इक बूँद के प्यासे हम” प्रस्तुत की। युवा गीतकार तारेश दवे ने शायर सईद मंज़र द्वारा सृजित प्रतिनिधि ग़ज़ल “आरज़ू दिल में थी दीद की बेख़ुदी में भटकते रहे ” प्रस्तुत की जबकि कवि रामचन्द्र पंचाल ” भारतीय” ने शायर मंज़र के एकादश प्रतिनिधि दोहे कुछ यूँ प्रस्तुत किए “इश्क ग़ज़ल से है मुझे, दोहों से है प्यार ” ।
इस अवसर पर पुस्तक अक्षरांकन के लिए हाजी सय्यद ज़हुर हुसैन को तथा मोती निकले सीप से ( दोहा संग्रह) आवरण पृष्ठ चित्रांकन के लिए कलाकार सुश्री फरहा खानम को सम्मानित किया गया। शुभारंभ में ही अदबकदा संस्था संरक्षक श्रीमती रसीदा खानम और सदस्यों ने मंचासीन अतिथियों का माल्यार्पण, शॉल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह भेंट कर अभिनन्दन किया। संस्था सचिव डॉ. अमानुल्लाह खान ने आभार ज्ञापित किया। समारोह में समाजसेवा, शिक्षा एवं साहित्य जगत से सज्जन सिंह राठौड़, अतीत गरासिया, शंकर लाल यादव, प्राचार्य ज्योति भट्ट, प्राचार्य अमिता शर्मा, एडवोकेट अनिल जैन, आदित्य काले
भरत चन्द्र शर्मा, नरेन्द्र मदनावत, मोहनदास वैष्णव,मयूर पँवार, सूर्यकरण सोनी, वरिष्ठ पत्रकार दीपक श्रीमाल, मृदुल पुरोहित, अशोक मदहोश, भारत दोसी, ज़हीर आतिश,सिकंदर मामू,कृष्णपाल सिंह,
कमल भट्ट,शबाना शेख और हिमांशु भट्ट उपस्थित रहे।

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