BN बांसवाड़ा न्यूज़ से – रतलाम. स्कूलों में मध्याह्न भोजन के नाम पर सरकार हर माह करोड़ों खर्च कर रही है। इसका उद्देश्य बच्चों को सरकारी स्कूलों तक लाना और दूसरा कमजोर या कुपोषित बच्चों को हष्ट-पुष्ट बनाना। इस समय इसका उलटा हो रहा है। करोड़ों रुपए तो खर्च किए जा रहे हैं लेकिन बच्चों को जो खाना मिल रहा है वह कच्ची रोटियां, पानी वाली सब्जी और पानी वाली ही दाल। सब्जी और दाल के रूप में कई स्कूलों में तो केवल बघार का पानी ही पहुंच रहा है। इनमें दाल या सब्जी नाम की चीज ढूंढने से मिलती है। पत्रिका ने शहर के आधा दर्जन स्कूलों में पहुंचे मध्याह्न भोजन का जायजा लिया तो कमोबेश सभी जगह यही स्थिति नजर आई।देखिये इसकी बानगी
दोपहर 12.00
स्कूल – शासकीय आजाद प्रावि आफिसर कालोनी शैरानी पुरा
मध्याह्न भोजन का लोडिंग आटो रिक्शा पहुंचता है। रिक्शा में कई सारी कैने और रोटी के डिब्बे रखे हैं। इनके एक डिब्बे से रोटियां थोक में दे दी जाती है। सब्जी और दाल की कैनों से तबेलों में अलग-अलग डाल दी जाती है। देखने पर रोटियां आड़ी-तीरछी, सब्जी में आलू-मटर और सोयावड़़ी ढूंढना पड़ती है तो दाल में भी दाल के लिए गोते लगाने पड़ते। दोपहर 12.15 स्कूल – नूतन प्रावि आनंद कालोनी बच्चों के लिए यह आटो रिक्शा खाना लेकर पहुंचता है। यहां पर भी इसी तरह शिक्षिका और आयाबाई से पूछकर रोटियां दे दी जाती है। सब्जी और दाल तबेलों में उड़ेल दी जाती है। रोटियों की स्थिति देखी तो आड़ी-तिरछी ही थी। कुछ रोटियां तो कच्ची मिली। प्रभारी आशा अधिकारी बताती हैं कि अकसर इसी तरह का खाना आता है। कई बार ठीक सब्जी होती है।दोपहर 12.30 बजे स्कूल – शासकीय माध्यमिक विद्यालय सूरजपौर महलवाड़़े से घुमकर आटो रिक्शा इस स्कूल में पहुंचता है। यहां भी प्रभारी से पूछकर रोटियां स्कूल के डिब्बे में रखी जाती है। दाल-सब्जी की उन्हीं कैनों में से यहां भी दी जाती है। इनमें भी वही हालात हैं। स्कूल की प्रधानाध्यापिका रेचल वाटसन के अनुसार एक माह पहले इससे भी खराब खाना आता था। कुछ सुधरा लेकिन यह भी सुधरी हुई स्थिति नहीं है।दोपहर 1.00 बजे
स्कूल – शासकीय प्रावि गांधीनगर इस स्कूल में दूसरा आटो रिक्शा वाला खाना देकर जा चुका था। बच्चे खाना खाने की तैयारी कर रहे थे। खाना परोसने वाली महिला ने खाना परोसना शुरू किया तो वही दाल, वही सब्जी और रोटियां भी उसी स्थिति की थी। यहां मौजूद शिक्षिका नशमिन के अनुसार बच्चों को लाइन में बैठाकर खाना खिलाया जाता है। कुछ बच्चे घर से भी लाते हैं उन्हें छूट दे रखी है। यह था आज का मैन्यू
गुरुवार को रोटी, दाल, सब्जी में आलू-मटर/सोयावड़ी की सब्जी का मैन्यू तय है।
- स्कूलों में दाल, रोटी और आलू-मटर व सोयावड़ी की मिक्स सब्जी भेजी गई।
शहर में स्कूलों की संख्या
प्राथमिक विद्यालय – 38
बच्चों की संख्या – 2404
माध्यमिक विद्यालय – 19
बच्चों की संख्या 2594
कुल स्कूल – 57
कुल बच्चे – 5100
क्वालिटी खराब होना गंभीर विषय
मध्याह्न भोजन योजना का मैन्यू अनुसार ही बच्चों को खाना दिया जाना होता है। यदि मैन्यू अनुसार नहीं है और क्वालिटी का कोई मामला है तो यह गंभीर विषय है। संबंधित फर्म को बुलाकर क्वालिटी के बारे में पूछताछ करेंगे। गड़बड़ पाई जाने पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। शहरी क्षेत्र में निरीक्षण के लिए हमारी टीम भी जाती रहती है।
जमुना भिड़े, सीईओ, जिला पंचायत, रतलाम
रोटी आटोमेटिक मशीन में ही बनती और सिकती है। इसमें कच्ची रहने का सवाल नहीं है। कम सिकने वाली सफेद रह जाती और ज्यादा सिकने पर जली जैसी दिखाई देती है। जहां तक दाल का सवाल है तो वह बड़े कूकर में बनने से मैश हो जाती है इसलिए दिखाई नहीं देती है। जहां खाना बनता है वहां पूरा हाइजनिक रूप से काम होता है।
वैभव जैन, प्रबंधक, आदर्श धार्मिक, शैक्षणिक संस्था (एमडीएम बनाने वाली संस्था)