जंक फूड के नियमित सेवन से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव: सरकारी और चिकित्सकीय रिपोर्ट्स के आधार पर भी

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जंक फूड के नियमित सेवन से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव
जंक फूड के नियमित सेवन से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव

बांसवाड़ा न्यूज़ मिर्ज़ा की रिपोर्ट – जंक फूड के नियमित सेवन से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव, आंतों में अपचनीय सामग्री का जमाव,पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएँ, दस्त और उल्टी के मामले भी सामने आते है

जंक फूड के नियमित सेवन से बच्चों के स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं,

  • मोटापा: जंक फूड में उच्च कैलोरी, चीनी, और वसा होती है, जो बच्चों में मोटापा बढ़ाती है। ICMR के अनुसार, मोटापा डायबिटीज, हृदय रोग, और जोड़ों के दर्द का कारण बन सकता है।
  • मधुमेह: जंक फूड में शुगर की मात्रा अधिक होती है, जिससे कम उम्र में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
  • पाचन समस्याएं: जंक फूड में फाइबर की कमी होती है, जिससे कब्ज और अपच जैसी समस्याएं होती हैं। इंस्टेंट नूडल्स में उच्च सोडियम और कृत्रिम रसायन पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • जंक फूड की खपत का स्तर: भारतीय बच्चों में जंक फूड की खपत में वृद्धि हुई है। नेशनल फूड एंड टेस्टिंग एजेंसी के अनुसार, 2019 में 25% लोग जंक फूड का सेवन करते थे, जो 2022 में 40% से अधिक हो गया। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के अनुसार, जंक फूड में चीनी, नमक, और वसा की उच्च मात्रा होती है, जो पोषण के मामले में शून्य के बराबर है। यह बच्चों में मोटापा, मधुमेह, और हृदय रोग जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।
  • आंतों में जमा होने का दावा: जंक फूड, विशेष रूप से इंस्टेंट नूडल्स और चिप्स जैसे कुरकुरे, में उच्च मात्रा में सोडियम, ट्रांस वसा, और कृत्रिम स्वाद (जैसे मोनोसोडियम ग्लूटामेट, MSG) होते हैं। ये पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे कब्ज, अपच, और सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि,
  • आंतों में “अपचनीय प्लास्टिक
  • पैकेज्ड फूड की संरचना: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने 2021 में 33 लोकप्रिय जंक फूड (चिप्स, नमकीन, इंस्टेंट नूडल्स) का परीक्षण किया, जिसमें उच्च नमक, वसा, और ट्रांस वसा पाया गया।

2. जंक फूड के स्वास्थ्य प्रभाव: सरकारी और चिकित्सकीय रिपोर्ट्स

जंक फूड के नियमित सेवन से बच्चों के स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  • मोटापा: जंक फूड में उच्च कैलोरी, चीनी, और वसा होती है, जो बच्चों में मोटापा बढ़ाती है। ICMR के अनुसार, मोटापा डायबिटीज, हृदय रोग, और जोड़ों के दर्द का कारण बन सकता है।
  • मधुमेह: जंक फूड में शुगर की मात्रा अधिक होती है, जिससे कम उम्र में टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
  • पाचन समस्याएं: जंक फूड में फाइबर की कमी होती है, जिससे कब्ज और अपच जैसी समस्याएं होती हैं। इंस्टेंट नूडल्स में उच्च सोडियम और कृत्रिम रसायन पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • मानसिक स्वास्थ्य: MSG जैसे additives सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकते हैं।
  • दांतों की समस्याएं: जंक फूड में चीनी और ट्रांस वसा दांतों में सड़न और कैविटी का कारण बनते हैं।
  • दीर्घकालिक प्रभाव: जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉ. राजकमल चौधरी के अनुसार, रोजाना जंक फूड खाने से 3-4 महीनों में रक्तचाप, शुगर, और वजन बढ़ने की समस्याएं शुरू हो सकती हैं।
  • चिकित्सकीय दृष्टिकोण: पेट दर्द और फूड पॉइजनिंग बच्चों में आम है, खासकर कमजोर पाचन तंत्र के कारण। हालांकि, आंतों में “प्लास्टिक फाइबर के गुच्छे” जमा होने का दावा असामान्य है और किसी भी सरकारी या चिकित्सकीय रिपोर्ट में इसका उल्लेख नहीं है। माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण में मौजूद हैं और भोजन श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं, लेकिन इनके आंतों में जमा होने और ऑपरेशन की आवश्यकता होने का कोई ठोस सबूत नहीं है।

4. जंक फूड खिलाना बंद न करने का पछतावा

  • स्वास्थ्य जोखिम: जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया, जंक फूड के नियमित सेवन से बच्चों में मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, और पाचन समस्याएं हो सकती हैं। ये दीर्घकालिक बीमारियां बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे माता-पिता को पछतावा हो सकता है।
  • वैकल्पिक उपाय:
    • स्वस्थ आहार: बच्चों को ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, और प्रोटीन युक्त भोजन (जैसे दाल, दही) दें।
    • जागरूकता: बच्चों को जंक फूड के नुकसान और स्वस्थ भोजन के लाभों के बारे में शिक्षित करें।
    • सीमित सेवन: जंक फूड पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाय, इसे महीने में एक-दो बार तक सीमित करें।
    • घर का खाना: बच्चों को खाना बनाने की प्रक्रिया में शामिल करें, जैसे सब्जी पराठा या बेसन चीला।

5. निष्कर्षजंक फूड के जोखिम: मैगी, नूडल्स, और कुरकुरे जैसे जंक फूड बच्चों के लिए हानिकारक हैं, क्योंकि इनमें पोषक तत्वों की कमी और चीनी, नमक, वसा की अधिकता होती है। ये मोटापा, मधुमेह, और पाचन समस्याओं का कारण बन सकते हैं।

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