BN बांसवाड़ा न्यूज़ – अष्टानिका का महापर्व के सातवें दिन सिद्धचक्र विधान के 512 अध चढ़ाएं नोगामा नगर में ‘अष्टान्हिका महापर्व पर सिद्धचक्र विधान महामंडल के तहत 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर 1008 भगवान महावीर समवशरण मंदिर सुखोदय तीर्थ नसिया , मैं श्रीजी का शांतिधारा अभिषेक करने का सौभाग्य पंचोली मनोज सागरमल सुशीला बेन केसरीमल ,संजय गांधी कौशिक विमल बागीदौरा ,खोडनिया जीतमल बड़ोदिया को प्राप्त हुआ, अभिषेक के पश्चात सभी इंद्रो द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ हार मुकुट बाजू बंद धारण किए, पंडित रमेश चंद्र गांधी के सानिध्य में सिद्धचक्र महामंडल के सातवें दिन देव शास्त्र गुरु नव देवता की पूजन के पश्चात बड़े भक्ति भाव से नृत्य गान गरबा करते हुए विधान के करते हुए कुल 512 अध चढ़ाएं इस अवसर पर जैन पाठशाला के छात्र छात्राओं ने ढोल मंजीरो के साथ पूजन मैं अपनी सहभागिता निभाई इस अवसर पर पंडित रमेश चंद्र गांधी ने बताया कि 1024 अध चढ़ाए जाएंगे एवं विश्वशांति महायज्ञ के साथ सिद्धचक्र विधान का समापन होगा उन्होंने बताया कि सिद्ध चक्र एवं अष्टष्टानिका का का क्या महत्व है दस भावो का महापर्व यानी ‘दस लक्षण महापर्व’ एक ऐसा ही शाश्वत पर्व है। यह आत्मा की सर्वश्रेष्ठ सहनशीलता, विनम्रता, सरलता आदि से संबंधित है; जो क्रोध, अहंकार आदि अशुद्ध भावो की समाप्ति के लिए होता है। ऐसा ही एक और त्योहार ‘अष्टान्हिका पर्व’ है जिसमें स्वर्ग के देव साल में तीन बार आठ दिन के लिए नंदीश्वर द्वीप में जिनेंद्र भगवान की अकृत्रिम मूर्तियों की पूजा की जाती है।अष्टान्हिका पर्व में सिद्धो की विशेष भक्ति होती है क्योंकि उन्होंने आठो कर्मो का नाश किया। उनको हज़ारो गुणों को स्मरण करने के लिए सिद्ध चक्र मंडल विधान भी करते मनाए जाता है उक्त जानकारी जैन समाज प्रवक्ता सुरेश चंद्र गांधी द्वारा दी गई।
