लेपर्ड पर युवक को पत्थर मारना पड़ा भारी ,लेपर्ड ने बोला युवक पर हमला ,

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बांसवाड़ा जिले के में मध्यप्रदेश की सीमा से सटे कांकनवानीगांव में बुधवार को खेत मे घुसे पैंथर पर फिर संकट आया। भगाने की कोशिश में पथराव पर पैंथर ने दो जनों पर पंजे मारे और घायल कर दिया। गनीमत रही कि घटना पर वन विभाग की कुशलगढ़ और बांसवाड़ा से पहुंची टीमें पहुंच गई, जिससे सतत निगरानी के चलते ग्रामीण और पैंथर दोनों सुरक्षित रहे। यहां दोपहर से शाम तक वन विभाग की टीम को ग्रामीणों को परे रखने के लिए मशक्कत करनी पड़ी। आखिर देरशाम को अंधेरा होने पर पैंथर नजर बचाकर जंगल की ओर भाग निकला। इससे वनकर्मियों ने भी राहत की सांस ली।

कांकनवानी में पैंथर सुबह करीब नौ बजे मुनिया फला निवासी लक्ष्मण पुत्र कालिया मुनिया के मक्का के खेत में देखा गया। यहां सिंचाई करने जुटे वार्ड पंच लक्ष्मण ने मक्का की फसल में पैंथर देखा, तो गांव के लोगों को बताया। फिर भीड़ जुटी और शोरशराबा शुरू हो गया। इत्तला पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और हो-हल्ला कर रहे लोगों को पीछे हटाने का प्रयास किया, लेकिन वह टस से मस नहीं हुए। इस बीच, क्षेत्रीय वन अधिकारी कुशलगढ़ गिरीश लबाना भी पहुंचे। लबाना ने बताया कि मौके से हालात उच्चाधिकारियों को बताए, तो बांसवाड़ा से ट्रेक्यूलाइलजर गन लिए विष्णुसिंह और पिंजरे के साथ गश्ती दल के जवान भी पहुंचे। तब तक ग्रामीणों को संभालना चुनौतीपूर्ण रहा। टोकने के बावजूद दोपहर करीब बारह बजे नशे में बताए गए दो जनों के पथराव से पैंथर बिफर गया। वह मक्का के खेत से निकलकर एक के बाद एक, दो जनों को जख्मी करते हुए वापस कपास के खेत से जा घुसा। हालांकि आगे फिर भीड़ दिखलाई दी, तो वापसी कर वह खेत में ही दुबक गया। घटना में काकनवानी निवासी कोमचंद पुत्र मानसिंग मुनिया ओर हुका पुत्र मंगलिया मईड़ा जख्मी हुए, तो उन्हें कुशलगढ़ सीएचसी भेजा गया। प्राथमिक उपचार के बाद दोनों को छुट्टी दे दी गई। इस बीच, बांसवाड़ा से गश्ती दल पहुंचने पर पैंथर पकडऩे के लिए प्रयास भी किए गए, लेकिन खेत में काफी अंदर होने से ट्रेंक्यूलाइज करना संभव नहीं रहा। इस पर शाम ढलने का इंतजार किया गया। अंधेरा होने के बाद करीब पौने सात बजे अचानक पैंथर फसल से निकला और रामगढ़ वन क्षेत्र की ओर भाग गया। इस दौरान मौके पर वनपाल बाबूलाल, कर्मवीरसिंह, दिनेश डामोर,पारसिंग नगेन्द्र, अंसार मोहम्मद आदि मौजूद थे। गौरतलब है कि इससे पहले आम्बापुरा क्षेत्र के धरमदेव गांव में इसी तरह का घटनाक्रम हुआ, जबकि खेत मैं काम करते समय पैंथर दिखलाई देने पर ग्रामीणों ने पथराव कर दिया। इससे हमलवावर हुए पैंथर ने पिता-पुत्र को घायल कर दिया था।छह हजार हैक्टेयर की टेरिटरी, पहली दफा दिखा खेत मेंकांकनवानी के जिस खेत में घटना हुई वह कुशलगढ़ रेंज के रामगढ़ वन खंड से मात्र 400 मीटर दूर है। क्षेत्रीय वन अधिकारी लबाना के अनुसार करीब छह हजार हैक्टेयर में फैले इस वन क्षेत्र के खत्म होने के बाद नाला है, जहां अक्सर मरे हुए मवेशी फेंकने से गीदड़, लोमडिय़ां खाने के लिए आती हैं। संभवत: शिकार की तलाश में पैंथर रात को नाले की तरफ आया और सुबह जल्दी वापसी नहीं कर पाया। भोर होने पर वह कपास के खेत में ही दुबक गया और ग्रामीणों की नजर पडऩे से दिक्कत शुरू हुई। इस क्षेत्र में पैंथर के हमलावर होने की यह पहली घटना रही।अंधेरा होते ही हो गया ओझलपैंथर ने करीब दस घंटे घेराबंदी के कारण दहशत के माहौल में खेत में ही इधर-उधर भागते-दुबकते बिताए। देरशाम तक वनकर्मी उसकी हरकत पर निगाह रखे रहे, वहीं अंधेरा होने के बाद अचानक सरसराहट के बीच वह जंगल की ओर भाग गया। इस पर कुछ देर पीछे जाकर टोह लेने के बाद सुरक्षित जंगल में घुसने की पुष्टि पर वनकर्मियों को तसल्ली और वे लौट गए।

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