गणगौर का त्यौहार आस्था प्रेम और सुहाग का पर्व है।

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BN बांसवाड़ा न्यूज़ सईद मिर्ज़ा हिंदुस्तानी – धार्मिक परम्पराओं और संस्कृति का प्रतिक गणगौर त्यौहार बांसवाड़ा में आज धूमधाम से मनाया जा रहा है , कहा जाता है गणगौर आस्था , प्रेम और सुहाग का पर्व है , तो वही गणगौर प्रतिमाओं का हुवा अनावरण नाथेलॉव तालाब पर ,नगर परिषद् बांसवाड़ा द्वारा ,जी हां सुन्दर एवं आकर्षक गणगौर सवारी की प्रतिमाओं को बनवाया गया, गणगौर महोत्सव के दिन टी ऐ डी मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया मुख्य अतिथि तो वही विशिष्ठ अतिथि बांसवाड़ा संभाग के सभापति जैनेन्द्र त्रिवेदी ,मारवाड़ी सेवा समिति अध्यक्ष किशन सिंह तंवर ,नेता प्रतिपक्ष ओम प्रकाश पालीवाल सहित कई जानेमाने चेहरे मौजूद रहें ,राजस्थान के इन लॉक पर्व की विशेष मान्यताएं बड़ा खास है गणगौर का उत्सव होली के दूसरे दिन से 16 दिनों तक लड़कियां प्रतिदिन प्राप्त कल ईश्वर गंगोर को पूजती हे जिस लड़की की शादी हो जाती है वह शादी के पहले वर्ष अपने पीहर जकार गंगोर की पूजा करती है है आईएसआई करन इसे सुहाग का पर्व भी कहा जाता है…राजस्थान का सिरमौर पर्व है गणगौर राजस्थान का नाम सुनते ही मन अपने आप ही आनंदित हो उठा है राजस्थान की कुछ ऐसी ही तस्वीर लोगों के मन में बनी रहती है जहां एक तरफ राजस्थान के बहादुर योद्धाओं की कहानियों से इतिहास भरा पड़ा है वही यहां के पर्व त्योहार भी अपने आप में ही अलग महत्व रखते हैं राजस्थानी परंपरा के लोकोत्सव अपने आप में एक पुरानी विरासत को संजॉय हुए हे गणगौर राजस्थान का ऐसा ही एक प्रमुख लोक पर्व वह लगतार 17 दिनों तक चलने वाला गणगौर का पर्व मूलत कुंवारी लड़कियों महिलाओं का त्योहार है गणगौर के लिए प्राचलित पौराणिक मान्यता कहा जाता है कि चेतरा शुक्ल तृतीया को राजा हिमाचल की पुत्री गौरी का विवाह शंकर भगवान के साथ हुआ था उसी की याद में यह त्योहार मनया जाता है कामदेव की पत्नी रात में भगवान शंकर की तपस्या कर उन्हें प्रसन्न कर लिया तथा उन्हीं के तीसे नेत्र से भस्म हुए अपने पति को पुन जीवन देने की प्रार्थना की रात की प्रार्थना से प्रसन्न हो भगवान शिव ने कामदेव को पूर्ण जीवित कर दिया तथा विष्णुलोक जाने का वरदान दिया उसी की समृद्धि में प्रतिवर्ष गणगौर का उत्सव मनया जाता है। गणगौर पर्व पर विवाह के समस्त नगाचार वर्ष में की जाति। साथ ही बंजारे भी इस त्यौहार को मनाते है।

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