आदिवासियों के साथ हो रहे अत्याचार और अन्याय से उनके अंदर असंतोष की भावना थी जो लगातार बढ़ रही थी, जिसके कारण सरकार पर भी इसका दबाव बन रहा था। जिसको देखते हुए संसद ने दिसंबर, 1996 में पेसा कानून दोनो सदनो में पारित किया था और इसे 24 दिसंबर को राष्टपति की सहमति प्राप्त कर लागू किया गया था। देश के 10 राज्यो में यह कानून लागू है। आज के समय में इन्ही 10 राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और राजस्थान में यह कानून लागू है, अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए ग्राम सभाओं (ग्राम विधानसभाओं) के माध्यम से सामुदायिक संसाधन जैसे जमीन, खनिज संपदा, लघु वनोपज की सुरक्षा और संरक्षण का अधिकार प्राप्त हो जाता है यानी प्राकृतिक संसाधनों पर उनके पारंपरिक अधिकारों को भी स्वीकार करता है। इस कानून को पेसा कानून कहा जाता है।

पेसा कानून का पूरा नाम ‘पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) कानून’ है। PESA का संक्षिप्त नाम
- BN – संविधान के भाग 9 यानी जो पंचायत के कार्यों से जुड़ा हो, को अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार लाना और जनजातियों की स्वयं शासन के अधिकारों का स्पष्टीकरण करना है। जिसका उल्लंघन या हस्तक्षेप करने की ताकत राज्यों के पास भी न हो।
- BN-जनजातीय या आदिवासी लोगो को स्वशासन प्रदान करने का उद्देश्य है।
- BN-पारंपरिक परिपाटियों की अनुकूलता में उपयुक्त प्रशासनिक ढाँचा विकसित करना।
- BN-ग्राम सभाओं (ग्राम विधानसभाओं) को सभी गतिविधियों का केंद बनाने का उद्देश्य है।
- BnNउच्च स्तर के पंचायतों को निचले स्तर की ग्राम सभा या ग्राम विधानसभा की ताकतों और उनके अधिकारों को छिनने से रोकना।


पेसा कानून की कुछ विशेषताएं है जो
- जनजातीय समाजों की ग्राम सभाओं को अत्यधिक ताकत दी गई है।
- प्रत्येक गाँव में एक ग्राम सभा होगी।
- प्रत्येक ग्राम सभा सामाजिक एवं आर्थिक विकास के कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं को स्वीकृति देगी।
- संविधान के भाग 9 के पंचायतों से जुड़े प्रावधानों को ज़रूरी संशोधनों के साथ अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने का लक्ष्य है।
- गरीबी उन्मूलन और अन्य कार्यक्रमों के लिये लाभार्थियों को
- चिन्हित करने तथा चयन के लिये भी ग्राम सभा ही उत्तरदायी होगी।