आदिवासी आरक्षण मंच ने अडिग रहते हुए सरकार के खिलाफ जुलूस निकालकर पुतले फूंके।

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BN बांसवाड़ा न्यूज़ – आदिवासी आरक्षण मंच के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में पुलिस व प्रशासन की ओर से बाधा पहुंचाने का प्रयास। आदिवासी आरक्षण मंच ने अडिग रहते हुए सरकार के खिलाफ जुलूस निकालकर पुतले फूंके। आगे भी विरोध जारी रहेगा, सरकार आंदोलन को कुचलने का प्रयास करने की बजाय मांगों को पूरा करे आदिवासी आरक्षण मंच के तत्वावधान में जनजाति समाज की मांगों को लेकर आंबापुरा में उग्र प्रदर्शन के साथ सरकार का पुतला दहन किया गया। इससे पूर्व पुलिस एवं प्रशासन ने पुतला दहन रोकने का हर सभव प्रयास किया लेकिन आदिवासी आरक्षण मंच के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शांतिपूर्ण विरोध करने के लिए अडिग रहे। आखिरकार पुलिस व प्रशासन को लोकतांत्रिक व शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में सहयोग के लिए मजबूर होना पड़ा। आदिवासी आरक्षण मंच हर विधानसभा क्षेत्र में जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण, राज्य सेवाओं में पृथक से 6.5%आरक्षण व न्यूनतम उत्तीर्णांक की बाध्यता को हटाने की मांग लेकर सरकार के पुतले फूंककर विरोध प्रदर्शन कर रहा है। आदिवासी आरक्षण मंच के इस विरोध प्रदर्शन से घबराकर सरकार आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस व प्रशासन का इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है जबकि सरकार को ऐसा करने की बजाय आदिवासियों की मांगे पूरी करनी चाहिए। सरकार जिस तरह से आदिवासी आरक्षण मंच के कार्यकर्ताओं को भयभीत करने का प्रयास कर रही है उससे आदिवासियों के प्रति उसका तानाशाही रवैया सामने आ रहा है। सरकार आदिवासी जैसे पिछड़े वर्ग की संवैधानिक मांगों को न केवल अनसुना कर रही है अपितु दमन और फूट डालने का काम कर रही है इससे आदिवासी समाज में आक्रोश ही पैदा होगा। सरकार जितनी निष्ठुर बनेगी, आंदोलन और भी मजबूत और उग्र होगा। आदिवासी आरक्षण मंच के इस प्रदर्शन और पुतला दहन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंच की केन्द्रीय कमेटी के प्रो.कमलकान्त कटारा ने कहा कि सरकार आदिवासियों को प्रताड़ित कर रही है लेकिन वोट लेने के लिए बहुत जल्द उसे आदिवासियों के बीच ही आना पड़ेगा,अब आदिवासी जनता अपने साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को समझने लगी है और इसका जवाब सरकार को दिया जायेगा। यदि सरकार सत्ता में वापस लौटना चाहती है तो आदिवासियों जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण,राज्य सेवाओं में पृथक आरक्षण व न्यूनतम पात्रता की बाध्यता हटाने की मांग पूरी करे। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो अनुसूचित क्षेत्र से जाने के लिए बोरी -बिस्तर बांध ले। अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी ही कांग्रेस का सबसे बड़ा वोट बैंक है फिर भी सरकार आदिवासियों को नजरंदाज कर रही है। कांग्रेस किसी भी तरह के विकास की चाहे उतनी घोषणाएं कर ले लेकिन उन घोषणाओं के दम पर वह अनुसूचित क्षेत्र के जनजाति वर्ग का वोट हासिल नहीं कर पायेगी। यदि उसे अनुसूचित क्षेत्र में जीत हासिल करनी है तो आरक्षण की मांग को पूरी करनी ही होगी।साथ ही प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा के नेता भी आदिवासी की इन मांगों को लेकर सरकार पर किसी तरह का दबाव नहीं बना रहे हैं इसलिए उन्हें भी आदिवासियों का विरोध झेलना होगा। आदिवासी आरक्षण मंच के सोहनलाल डोडियार ने कहा कि आदिवासी समाज को पूर्ण रूप से आदिवासी आरक्षण मंच के समर्थन में आकर सरकार पर दबाव बनाने में सहयोग करना चाहिए क्योंकि इन मांगों पर आदिवासी समाज के लाखों युवाओं का भविष्य निर्भर है। आंदोलन और विरोध प्रदर्शन का यह सिलसिला आगे विकराल रूप धारण करेगा सरकार को शीघ्र मांगों का समाधान करना चाहिए। लगभग आधा किलोमीटर पुतलों सहित जुलूस निकालकर कार्यकर्ता तहसील कार्यालय पहुंचे और सरकार के खिलाफ उग्र नारेबाजी करके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जल संसाधन मंत्री महेन्द्रजीत सिंह मालवीया, जनजाति मंत्री अर्जुनसिंह बामनिया, सांसद कनकमल कटारा व जिला कलेक्टर प्रकाश चन्द्र शर्मा का पुतला दहन किया। इस अवसर पर बंशीलाल डोडियार,बापूलाल डोडियार, हरीश मईड़ा,चेतन चरपोटा,प्रभूलाल मईड़ा,मनोज डिण्डोर, प्रकाश डिण्डोर, राजेश मईड़ा, मीठालाल रावत, कांतिलाल डामोर, सुभाष कटारा आदि अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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